रायपुर, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार अब मल्टी नेशनल ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के दबाव में आकर दवाओं को भी ऑनलाइन बेचने की इजाजत देने वाली है। इसे लेकर केंद्र सरकार ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है, जिसे कानूनी रूप देने के लिए इसे संसद में रखा जाएगा। लेकिन अखिल भारतीय दवा विक्रेता संघ (एआईओसी) ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है।
एआईओसी के पूर्व उपाध्यक्ष संजय रावत के मुताबिक, सरकार ने ही तय किया है कि रिटेल काउंटर पर डॉक्टर की पर्ची पर फार्मासिस्ट ही दवा देगा। फार्मासिस्ट अनिवार्य है। लेकिन अब ऑनलाइन बिक्री पर पर्ची-फार्मासिस्ट नहीं होंगे।
ड्राफ्ट और केंद्र के फैसले के विरोध में देशभर की दवा दुकानें बंद रहेंगी। एआईओसी ने दवा विक्रेताओं से दवा दुकान बंद रखने की अपील की है। जिस तरह आप चप्पल, जूते, कपड़े ऑनलाइन देखकर बुक करवाते हैं और वह घर पर पहुंचते हैं, ठीक वैसे ही दवाएं भी आपको घर पर ही मिलेंगी।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ सरकार डॉक्टर की पर्ची के बगैर दवा बेचने पर दुकानदारों पर कार्रवाई करती है, दूसरी तरफ पर्ची है, तब भी दवा दुकानों में फार्मासिस्ट अनिवार्य है। फार्मासिस्ट ही दवा देगा। लेकिन ऑनलाइन साइट्स पर तो दवाएं डिस्प्ले होंगी और व्यक्ति उन दवाओं को खरीद सकता है। ऐसे में नशीली दवाओं का दुरुपयोग बढ़ जाएगा।