अजरा परवीन रहमान
अजरा परवीन रहमान
वडोदरा, 13 जनवरी (आईएएनएस)। गुजरात में इन दिनों मकर संक्राति की तैयारियां जोर-शोर से तैयारी चल रही हैं। रंग-बिरंगी पतंगों से सजी दुकानें और तेजी से घूमते चरखे आने वाले पर्व की सूचना दे रहे हैं। अगले सप्ताह गुरुवार को मकर संक्रांति देश भर में मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति गुजरात का लोकप्रिय त्योहार है। गुजरात में इसकी मान्यता असम के बिहू जैसे फसली त्योहारों की तरह ही है। इस दिन यहां पतंग उड़ाने का भी प्रचलन है। इस उत्सव पर प्रत्येक घर के सदस्य पतंग उड़ाने के लिए उत्सुक रहते हैं। बच्चों से लेकर उम्रदराज लोग इस पर्व पर खुले आसमान के तले नजर आते हैं।
मकर संक्रांति से कई दिन पहले ही रंग-बिरंगी पतंगों और मांझे की खरीदारी शुरू हो जाती है। बच्चों में इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है।
14 वर्षीय हरीश कहते हैं, “मैं इस दिन अपने दोस्तों के साथ पतंग प्रतियोगिता करता हूं। इस मौके पर पतंग प्रतियोगिता काफी प्रचलित है। इस दिन हमारी बहुत सी पतंगें कट जाती हैं, लेकिन बावजूद इसके पतंग उड़ाने का जोश कम नहीं होता।”
मकर संक्राति के कई दिन पहले ही रंग-बिरंगी पतंगों से बाजार पट जाते हैं। इस पेशे से जुड़े व्यापारियों को भी इस त्योहार से काफी लाभ मिलता है। पतंग और मांझा विक्रेता इकबाल बताते हैं, “इस त्योहार से एक सप्ताह पहले ही पतंगों और मंझे की ब्रिकी होने लगती है और यह इस त्योहार के चार दिनों तक जारी रहती है।”
उन्होंने बताया, “मेरा परिवार इसकी निर्माण प्रक्रिया में शामिल रहता है। हमें इससे अच्छा लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के बाद होली के त्योहार पर दोबारा ब्रिकी शुरू हो जाती है। चीनी मंझे पर प्रतिबंध लगने के बाद स्थानीय विक्रेताओं को राहत मिली है क्योंकि चीनी मांझा स्थानीय मंझे को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा था।”
उत्साह और उमंग से भरपूर इस रंग-बिरंगे पर्व का एक स्याह पहलू भी है। इस पर्व के करीब आने पर पतंगों का मंझा दो पहिया चालकों के लिए खौफ का सबब बन जाता है। ताजा घटना है गुरुवार की है, जब बाइक से जा रहा 21 वर्षीय छात्र कांच के मिश्रण से बने मांझे से घायल हो गया था। इससे पहले भी एक घटना सामने आई थी कि पांच साल के एक स्कूली बच्चे की मंझे से गर्दन कट जाने से मौत हो गई थी।
खुशी और उमंग के पर्व पर ग्रहण लगाते इस मंझे की ब्रिकी पर प्रतिबंध हैं। इसके बावजूद इन घातक मंझों के विक्रेताओं और खरीदारों की कमी नहीं। गोंद और कांच के मिश्रण से निर्मित इन मंझों को विरोधियों की पतंग काटने के उद्देश्य से बनाया जाता है, लेकिन यही मांझे हर साल लोगों की जिंदगी को खतरे में डालते हैं। कई संस्थाएं भी इसके खिलाफ विरोध के स्वर उठा चुकी हैं, क्योंकि इससे केवल इंसानों को ही नहीं, आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
वडोदरा के कैब ड्राइवर रजनीकांत का कहना है, “लोगों को सुरक्षा के लिहाज से इस कांच निर्मित मंझे का उपयोग बंद कर देना चाहिए। इसके बाद इसका निर्माण अपने आप बंद हो जाएगा। यह उत्साह का पर्व है, इसे बिना किसी भय के हंसी-खुशी के साथ मनाना चाहिए।”