नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल के अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश पर सोमवार को देश में राजनीतिक माहौल बेहद गर्माया रहा। कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा, साथ ही फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान की हत्या’ करार दिया।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने को रविवार को मंजूरी दे दी थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उधर कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अरुणाचल प्रदेश में संविधान की हिफाजत नहीं कर पाई और सत्ता में बने रहने का संवैधानिक अधिकार खो चुकी है।
इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की और मामले पर विचार-विमर्श किया।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, “हमने आज (सोमवार) राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है और मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। हमने राष्ट्रपति को पूरे मामले से अवगत कराया। उन्होंने जो भी सवाल पूछे उनके विस्तार से जवाब दिए।”
कांग्रेस नेता ने अरुणाचल के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया।
सिब्बल ने कहा, “राज्यपाल ने ही यह सारी समस्या खड़ी की है और वही कह रहे हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए। एक तरफ तो राज्य को इस हालत में पहुंचाने के जिम्मेदार भी आप ही हैं और दूसरे आप केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लागू करने का अनुरोध करते हैं।”
उन्होंने अरुणाचल में इस स्थिति को ‘राजनीति प्रेरित’ बताया और कहा कि इसमें भाजपा, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शामिल होने का आरोप भी लगाया।
असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के फैसले की निंदा की और इसे लोकतंत्र और सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ बताया है।
गोगोई ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना सही नहीं है, क्योंकि वहां पर कानून-व्यवस्था में कोई गंभीर अव्यवस्था नहीं हुई है।
गोगोई ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से ही राजनीतिक संकट की स्थिति है। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीन है और शीर्ष अदालत ने यह मामला अपनी एक संविधान पीठ को सौंप दिया है और इसकी सुनवाई जारी है। सुनवाई की अगली तारीख दूर नहीं है और मंत्रिमंडल को कम से कम सुनवाई की अगली तारीख तक इंतजार करना चाहिए था।”
वहीं राजधानी दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अरुणाचल प्रदेश में निर्वाचित सरकार को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुशंसा को ‘संविधान के खिलाफ’ करार दिया।
केजरीवाल ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, “संविधान किसी भी राज्य में निर्वाचित सरकार को निलंबित कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमति नहीं देता। यह संविधान के खिलाफ है।”
भाजपा ने हालांकि आरोप लगाया है कि अरुणाचल में सत्ताधारी दल ने सत्ता में बने रहने का अधिकार खो दिया है।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने संवाददाताओं से कहा, “राजनीतिक रूप से यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है और संवैधानिक रूप से, या जिस तरीके से सर्वोच्च न्यायालय में निर्णय लंबित है, वे अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनाने का संवैधानिक अधिकार खो चुके हैं।”
त्रिवेदी ने कहा, “और सामान्य तौर पर मैं एक सवाल पूछना चाहूंगा कि आप सदन की बैठक बुलाने से और बहुमत साबित करने से क्यों भाग रहे हैं?”
त्रिवेदी ने कांग्रेस पर इस मुद्दे को लेकर देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “वे सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे। वे राष्ट्रपति के पास जाएंगे, लेकिन वे विधानसभा सत्र नहीं बुलाएंगे और विधायक दल की बैठक भी नहीं बुलाएंगे। कांग्रेस को राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहिए, क्योंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष है।”
त्रिवेदी ने कहा कि संवैधानिक रूप से एक प्रावधान के अनुसार, कोई भी सरकार पिछला सत्र समाप्त होने के छह महीने के भीतर विधानसभा का अगला सत्र नहीं बुला पाती है तो वह सत्ता में नहीं रह सकती।