तिरुवनंतपुरम, 24 मई (आईएएनएस)। केरल विधानसभा में खाता खोलने की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) की इच्छा पूरी करने के बाद राज्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच नरेंद्र मोदी सरकार में संभावित स्थान पाने को लेकर संघर्ष शुरू हो गया है। मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं से वादा किया था कि यदि उन लोगों ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया तो उनमें से एक को केंद्रीय मंत्रिमंडल में सीट दी जाएगी। गत 16 मई को हुए चुनाव में पार्टी के प्रमुख नेता ओ. राजगोपाल नेमम विधानसभा सीट से विजयी रहे हैं, जबकि सात सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही। वर्ष 2011 के चुनाव में भाजपा मात्र तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
भाजपा के सूत्रों ने संकेत दिया है कि पिछले माह राज्यसभा में मनोनीत किए गए सुपर स्टार सुरेश गोपी को हो सकता है कि मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिले, क्योंकि मनोनीत कर उन्हें पहले ही पुरस्कार दिया जा चुका है। दूसरा पद देने से राज्य के नेता बहुत खुश नहीं होंगे।
लेकिन यदि दूसरे नेता को इसके लिए स्वीकृति मिली तो पार्टी को उसे किसी अन्य राज्य से उच्च सदन में पहुंचाना होगा। उसी तरह जैसे अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे राजगोपाल मध्य प्रदेश से राज्यसभा में चुने गए थे।
मंत्री बनने की चाह रखने वाले केरल के भाजपा नेताओं की लंबी सूची में किसी को चुनना एक पेंचीदा मामला साबित होने जा रहा है। इस सूची में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी. मुरलीधरन के साथ ही पी. के. कृष्णदास, पी. एस. श्रीधरन पिल्लई और अन्य नेता भी हैं।
यदि राजशेखरन को चुना जाता है तो उनकी जगह किसे सौंपी जाए, यह एक और समस्या होगी। मुरलीधरन के पक्ष में यहां एक बात यह है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेतृत्व के करीबी हैं और अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों धारा प्रवाह बोलते हैं।