अगरतला, 11 जून (आईएएनएस)। भारत ने बांग्लादेश के रास्ते चटगांव अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों और शेष भारत के बीच भारी मशीनें और सामान लाने-ले जाने के लिए त्रिपुरा में फेनी नदी पर एक पुल के निर्माण का काम शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 6-7 जून, 2015 को ढाका की दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी और बांग्लादेश की उनकी समकक्ष शेख हसीना ने संयुक्त रूप से पुल का शिलान्यास किया था।
त्रिपुरा के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की राष्ट्रीय राजमार्ग शाखा के इंजीनियर दीपक रंजन दास ने संवाददाताओं से कहा, “भारत ने पूवरेत्तर क्षेत्र में सामान और भारी मशीनें लाने-ले जाने के लिए चटगांव बंदरगाह के इस्तेमाल के लिए त्रिपुरा में पुल निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रपट (डीपीआर) बनाने समेत प्रारंभिक कार्य पूरा कर लिया है।”
दास ने कहा, “परियोजना के लिए धन जारी करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) को कुछ बदलावों के बाद अगले सप्ताह डीपीआर सौंप दी जाएगी।”
त्रिपुरा के पीडब्ल्यूडी मंत्री बादल चौधरी ने आईएएनएस को बताया, “हाल ही में भारत और बांग्लादेश के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने निर्माण कार्य शुरू करने और अन्य जमीनी कार्यो को अंतिम रूप देने के लिए सबरूम (भारत) और रामगढ़ (बांग्लादेश) का दौरा किया था।”
चौधरी ने कहा, “प्रस्तावित पुल 94 करोड़ रुपये की लागत पर बनेगा और यह केवल पूर्वोत्तर भारत के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पड़ोसी एशियाई देशों के लिए भी व्यापारिक जीवनरेखा होगा।”
त्रिपुरा के मंत्री ने बांग्लादेश के उद्यम मंत्री अलहाज आमिर हुसैन अमु की पिछले सप्ताह की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा, “भारत और बांग्लादेश दोनों ही पूर्वोत्तर राज्यों के साथ व्यापार और व्यवसाय बढ़ाने और दोनों पड़ोसियों के लाभ के लिए संयुक्त उद्यम परियोजनाएं स्थापित करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं।”
पिछले साल मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक करार पर हस्ताक्षर किया था, जिसके अनुसार बांग्लादेश भारत से सामान लाने और ले जाने के लिए चटगांव बंदरगाह और मोंगला नदी बंदरगार के इस्तेमाल की इजाजत देगा।
त्रिपुरा उद्योग और वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 135 किलोमीटर दक्षिण में पुल के इलाके में और उसके आसपास विभिन्न पर्यटन संबंधी सुविधाएं और बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा।
पूर्वोत्तर राज्यों के इर्द गिर्द बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान के साथ ही चीन हैं और भारत के भीतर से इन राज्यों में आवाजाही का एकमात्र मार्ग असम के रास्ते है। लेकिन यह मार्ग खड़ी सड़कों वाले पहाड़ी इलाके और कई दुर्गम घुमावदार रास्तों से होकर गुजरता है।
चौधरी ने कहा, “अगर ढाका भारत को पारगमन की सुविधा देता है और अगर हम चटगांव अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह और बांग्लादेश के अन्य बंदरगाहों का प्रयोग कर सकते हैं, तो भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेश से पूर्वोत्तर राज्यों में सामान और मशीनें लाई-ले जाई जा सकती हैं। इससे समय और पैसे की काफी बचत होगी।”
उन्होंने कहा, “पूवरेत्तर भारत और देश के शेष हिस्सों के बीच बांग्लादेश के रास्ते आवाजाही निकट भविष्य में वास्तविकता बनने की संभावना है।”