मनोज पाठक
पटना, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता एवं एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल का कहना कि हिंसा को रोकने में अहिंसा की बड़ी भूमिका है, मगर छोटी-छोटी हिंसा को रोकने के लिए बड़ी हिंसा का जो सिद्धांत बनता जा रहा है, वह दुनिया को विनाश के कगार पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि आज कई राज्यों में सरकार को हिसंक भीड़ को नियंत्रित करने आता है परंतु अहिंसक भीड़ को नियंत्रित करना आसान नहीं होता।
झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव में राष्ट्रीय थर्मल पॉवर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के खनन के लिए अधिगृहित की जा रही जमीन के खिलाफ आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में चार लोगों की मौत के बाद आए राजगोपाल ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि महात्मा गांधी के देश में इस प्रकार की सरकारी हिंसा से भारत की पूरी दुनिया में बदनामी हो रही है, इसलिए इस बदनामी का दाग मिटाने एवं देश और दुनिया को विश्वास दिलाने के लिए केन्द्र सरकार को काम करना चाहिए।
वे कहते हैं, “झारखंड के लोग दुखी हैं। बडकागांव की घटना के बाद यह साफ होने लगा है कि जीवन आधारित आर्थिक रचना जल, जंगल और जमीन छीनकर मल्टी नेशनल कंपनी लाया जा रहा है। इससे आदिवासी के अस्तित्व पर खतरा आ गया है।”
विकास के लिए जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता पर पूछे जाने पर राजगोपाल स्पष्ट कहते हैं कि विकास का कोई भी व्यक्ति विरोधी नहीं हो सकता, परंतु किसी की जान लेकर या उसकी आर्थिक संरचना छीनकर विकास करना कहां तक उचित है। उन्होंने कहा कि जमीन के लिए उचित मुआवजा मिलना चाहिए, प्रभावित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए।
वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि गांधी की प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में अलग-अलग जगहों पर उभरती हुई छोटी हिंसा को खत्म करने के लिए बड़ी हिंसा का उपयोग एक सिद्धांत बनता जा रहा है। हिंसा को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर हिंसा का उपयोग अगर लोग करते रहे, तो हमारी दुनिया का विनाश हो सकता है।”
विभिन्न समस्याओं को लेकर कई पदयात्रा कर चुके राजगोपाल कहते हैं कि अहिंसक समाज बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए युवा पीढ़ी को अहिंसक आंदोलन से जोड़ना होगा। उन्हें संस्कृति के प्रति जवाबदेह बनाने की जरूरत है।
राजगोपाल ने कहा कि कहीं भी आग लगती है तो उसे बुझाने में पानी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। ठीक इसी तरह हिंसा को खत्म करने के लिए अहिंसा की ओर कदम बढ़ाने होंगे।
बिहार की स्थिति पर पूछे जाने पर गांधीवादी विचारक ने कहा कि आज बिहार में 21 प्रतिशत लोगों के पास मकान बनाने तक के लिए जमीन नहीं है जबकि यहां से बाहर रह रहे लोगांे के पास काफी जमीन है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों की शक्ति का सदुपयोग कर ही पंजाब, मुंबई और दिल्ली बना है आखिर क्या कारण है कि बिहार ही विकास में पिछड़ते गया।
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि आज भूदान आंदोलन तक की जमीन पर ताकतवारों का कब्जा है। राजगोपाल कहते हैं, “व्यवस्था शोषित लोगों के लिए होती है परंतु बिहार में यह व्यवस्था ताकतवर लोगों के हाथ में चली गई है। इस स्थिति को जनसंगठन और सरकार मिल कर ही बदल सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को समाजवादी बताते हैं परंतु उन्हें इसे ‘प्रैक्टिकल’ रूप में लाना होगा। आज तक बिहार में भूमि को लेकर कोई कानून नहीं बन सका।
उन्होंने बताया कि अगले वर्ष विभिन्न मुद्दों के लेकर महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से एक पदयात्रा प्रारंभ की जाएगी, जो बिहार की समस्याओं के समाधान को लेकर होगी।
बिहार में शराबबंदी कानून के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने आईएएनएस से कहा, “शराबबंदी अच्छी बात है परंतु शराबबंदी कानून के नाम पर घर का एक व्यक्ति शराब सेवन करे और उसकी सजा पूरे परिवार को मिले, यह उचित नहीं है। शराबबंदी से गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी, महिलाओं का उत्थान होगा।”