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गृहस्थ धर्म में आग लगा कर अय्याशी के लिए ओढा साध्वी का चोला-पढ़िए शिवानी दुर्गा के जीवन से जुडी बातें

May 6, 2016 10:13 am by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on गृहस्थ धर्म में आग लगा कर अय्याशी के लिए ओढा साध्वी का चोला-पढ़िए शिवानी दुर्गा के जीवन से जुडी बातें A+ / A-

उज्जैन सिंहस्थ मेले से – स्वयंभू अघोर तांत्रिक शिवानी दुर्गा उर्फ़ शिवानी नागपाल उर्फ़ शिवानी कथूरिया ने नासिक कुम्भ में अपने अनुभवों के चलते मीडिया को लोकप्रियता का सहारा बनाया और उसी मीडिया ने उसकी सच्चाई भी सामने लायी.जब हमने उसकी ख़बरें श्मशान साधना की पढ़ीं और श्मशान में मीडिया को बुला अपनी वाह वाही करते देखा तब हमने भी उससे संपर्क किया और बात करने पर उसकी पोल खुल गयी.शिवानी उन पत्रकारों की समर्थक है जो उसके प्रचार-प्रसार में सहयोगी बनते हैं लेकिन जो अन्वेषी पत्रकार उसकी सच्चाई जनता के सामने लाते हैं उन्हें भला-बुरा कहने में वह तनिक भी देरी नहीं करती.और जम कर करती है.

अय्याशी के लिए ओढा साध्वी का चोला 

12963433_10208370472846994_2752312563691860367_nशिवानी नागपाल से ब्रिज कथूरिया से शादी के बाद शिवानी कथूरिया बनी इस फर्जी धर्म शास्त्री ने शिवानी दुर्गा सिंहवाहिनी का चोला ओढा.

इसके पति ब्रिज कथूरिया से 30/09/1997 को इसे एक पुत्री की प्राप्ति हुई.शिवानी शुरू से ही अय्याश प्रवृत्ति की मालकिन थी.पति ब्रिज कथूरिया को जब शिवानी के संबंधों का पता चला तो वह परेशान रहने लगा.शिवानी ने अपने बढ़ते अय्याशी के खर्चों को चलाने के लिए ज्योतिषी और टैरो रीडर का चोला ओढा.इसके लिए इसने मुम्बई में मिरा-भायंदर रोड पर दो फ्लेट किराए पर लिए और अपना जाल फैलाने लगी.

राधे माँ से प्रभावित हुई शिवानी 

13151725_1536434093332375_5092624586671979995_nशातिर दिमाग शिवानी जो मुम्बई की हाई-प्रोफाइल सोसाईटी में शामिल होने लगी थी और उसमें व्याप्त सभी बुराईयों को अपनी योग्यता समझती थी ने राधे माँ प्रकरण से प्रभावित हो भगवा चोला ओढने का फैसला किया.उसने देखा की महिला होते हुए भगवा ओढने से लोग उसकी और आकृष्ट होंगे.नशे की शौक़ीन शिवानी ने इस लिए तंत्र-मन्त्र के चोले का सहारा लिया.क्योंकि आम आदमी इस तरफ तेजी से ध्यान आकृष्ट करता है एवं महिला होने से शिवानी पर जल्दी भरोसा करता है.शिवानी जानती है की लोगों को डरा कर इस तरह के व्यवसाय में वह खूब सफलता अर्जित करेगी और पैसा कमाएगी.

सचिन शुक्ला को अपनी योजना में शिवानी ने फंसाया 

10301500_721413904572936_1089143967089789434_nसचिन शुक्ला फिल्म संस्थानों में फोटोग्राफर की हैसियत से कार्य करता था.एक संस्कारी परिवार का यह लाका फोटोग्राफर की हैसियत से शिवानी दुर्गा के संस्थान से जुड़ा.शिवानी ने अपने रूप-जाल और अय्याशी में सचिन को ऐसा जकड़ा की वह इसी का होकर रह गया.सचिन को आर्थिक रूप से बर्बाद करने के बाद वह उसके रूप-जाल में उलझ कर रह गया.

शिवानी के पति ने पुलिस में सचिन शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई 

दिनांक 06/11/2014 को मुम्बई के समता नगर थाने में ब्रिज रामलाल कथूरिया ने सचिन संतोष शुक्ला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई.रिपोर्ट में स्पष्ट है की ब्रिज की पत्नी शिवानी जो ज्योतिष का काम करती है के फोटोग्राफर जो इसके साथ दिल्ली गया था से संपर्क फ़ोन पर करने पर जान से मारने की धमकी उसने दी.शिवानी के पति ने तलाक का मुकदमा दायर किया है.इन दोनों की लड़की पहले शिवानी के पास थी लेकिन उसे भी बिगड़ते देख ब्रिज कथूरिया उसे अपने पास ले गया.

गृहस्थ-धर्म को उचित रूप से पूरा किये कैसे बने कोई साध्वी 

943963_10207922102678020_5042906164487770927_nस्त्री को सनातन में मर्यादित स्थान दिया गया है लेकिन शिवानी ने अपने गृहस्थ जीवन में आग लगा वह वेश धरा जिसके तहत वो दूसरों का जीवन सुखी बनाने का दावा करने लगी.अपने पति को छोड़ अय्याशी करने के लिए पर पुरुषों से सम्बन्ध रख नशा करने की शौक़ीन शिवानी नागपाल से शिवानी दुर्गा बन बैठी.

साधुता के कुछ मापदंड हैं जिसकी इसने उडाई धज्जियाँ 

सनातन में साधू वेश धारण करना वीर भाव की उपासना है.साधू या साध्वी समाज में पूजनीय होते हैं इसी का फायदा उठा सतयुग में रावण ने सीता हरण में साधू का वेश धरा.“बारह बरस रहे साधू की टोली,तब जा के सीखे एक ठे बोली”,साधू/साध्वी का पद धारण करने के लिए त्याग और तपस्या में कई जीवन निकल जाते हैं लेकिन यह फर्जी साध्वी 18 दिन में पी एच डी वह भी तंत्र में जो विदेशी है दूसरा कई डिग्रियां ले अपने आप को सनातन का दुकानदार कहने में संकोच नहीं करती.

क्या ब्रह्मचारी है शिवानी ?

72890_10202547491236093_1031247483_nसाधू के चोले को ओढ़ते ही सभी राग-द्वेषों,मोह-ममता,वासनाओं से दूर होना पड़ता है.शिवानी दुर्गा के सचिन और अन्य लोगों से अवैध संबंद्ध क्या उसे साध्वी कहलाने की योग्यता प्रदान करते है.यदि वह सचिन की जगह अपने पति को अपने साथ रखी होती तो उसे शायद सम्मान प्राप्त होता फिर भी जो हमने इसके संबंद्ध में जाना ना ये साध्वी है और ना ही तांत्रिक ,अघोर के तो यह एक शब्द को भी छू नहीं पायी है.

ऐसे बहुरूपियों को साधू समाज से खदेड़ हम इनकी असलियत उजागर करते रहेंगे यह हमारा संकल्प है.

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