संयुक्त राष्ट्र, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने संकटग्रस्त मध्यपूर्व में शांति स्थापित करने के लिए राजनीतिक संवाद की मांग की है और साथ ही आतंकवादी संगठन के खिलाफ मजबूत कदम उठाने की अपील की।
संयुक्त राष्ट्र, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने संकटग्रस्त मध्यपूर्व में शांति स्थापित करने के लिए राजनीतिक संवाद की मांग की है और साथ ही आतंकवादी संगठन के खिलाफ मजबूत कदम उठाने की अपील की।
सुरक्षा परिषद में मंगलवार को मध्यपूर्व मुद्दे पर आयोजित बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने फिलिस्तीन, यमन और सीरिया संकट पर चर्चा की और कहा, “भारत इस बात को मानता है कि संवाद समस्याओं के समाधान का एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है।”
यमन में मौजूदा संघर्ष, जिसमें हौती विद्रोही निर्वासित राष्ट्रपति अब्द रब्बु मंसूर हादी की सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं, में से भारत ने 4,741 नागरिकों के अतिरिक्त पिछले सप्ताह 48 देशों के 1,947 लोगों को सुरक्षित निकाला है। राहत कार्य ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से चलाया गया और सुरक्षा परिषद के पांच में से चार स्थायी सदस्यों के नागरिकों की मदद की।
मुखर्जी ने कहा, “हम यमन में सभी पक्षों से बातचीत की मेज पर आने की अपील करते हैं। संवाद सभी समस्याओं के समाधान का प्रभावी हथियार रहा है।”
उन्होंने फिलिस्तीन संकट से निपटने में सुरक्षा परिषद के निष्प्रभावी रहने की आलोचना की और कहा कि यह तमाशबीन बना रहा है।
फिलिस्तीनी जनता को भारतीय समर्थन की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि भारत, इजरायल के साथ-साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीन देश देखना चाहता है।
मुखर्जी ने कहा कि नई दिल्ली इजरायल एवं फिलिस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया में आ रही गिरावट और गाजा में बढ़ रहे संघर्ष से चितित है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न पक्षों द्वारा एकपक्षीय तरीके से उठाए गए कदम दुर्भाग्यपूर्ण रूप से उन्हें अलग कर रहे हैं।
मुखर्जी ने कहा, “कूटनीति और शासन कला के जरिए हिंसा तथा नफरत पर जीत दर्ज करनी होगी। शांति के लिए कोई और मार्ग नहीं है।”
उन्होंने कहा कि भारत गाजा में पुनर्निर्माण और ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका के साथ संयुक्त परियोजना के लिए 40 लाख डॉलर की सहायता के जरिए फिलिस्तीन की मदद कर रहा है।