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 अमेरिका में भारतवंशी बने कारागार शिक्षा कार्यक्रम के प्रमुख | dharmpath.com

Wednesday , 18 June 2025

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अमेरिका में भारतवंशी बने कारागार शिक्षा कार्यक्रम के प्रमुख

वाशिंगटन, 19 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय मूल के एक अमेरिकी प्रोफेसर निखिल पाल सिंह को न्यूयार्क विश्वविद्यालय (एनवाईयू) की एक विशेष पहल ‘कारागार शिक्षा कार्यक्रम (पीईपी)’ के नेतृत्व का दायित्व सौंपा गया है।

वाशिंगटन, 19 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय मूल के एक अमेरिकी प्रोफेसर निखिल पाल सिंह को न्यूयार्क विश्वविद्यालय (एनवाईयू) की एक विशेष पहल ‘कारागार शिक्षा कार्यक्रम (पीईपी)’ के नेतृत्व का दायित्व सौंपा गया है।

इस कार्यक्रम के तहत न्यूयार्क प्रांत के मध्यम-सुरक्षा कारागार के कैदियों को कॉलेज स्तर तक की शिक्षा दी जाएगी।

विश्वविद्यालय को इस कार्यक्रम के लिए फोर्ड फाउंडेशन से 5,00,000 डॉलर का अनुदान मिला है। पीईपी कार्यक्रम के तहत कैदी विश्वविद्यालय से एसोसिएट ऑफ आर्ट्स (एए) की डिग्री हासिल कर सकते हैं।

पीईपी के संकाय निदेशक सिंह ने कहा, “कैदियों तक विश्वविद्यालय की शिक्षा पहुंचाकर कार्यक्रम के जरिए न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद की जा रही है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कैदियों की संख्या दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले अधिक है।”

सिंह ने बताया कि अमेरिका में 20 लाख अमेरिकी कैदी हैं, जिनमें अधिकांश गरीब, अफ्रीकी-अमेरिकी और लातिनी अमेरिकी हैं।

सिंह विश्वविद्यालय के सामाजिक और सांस्कृतिक विश्लेषण विभाग में भी एसोसिएटेड प्रोफेसर हैं।

बसंत 2015 सत्र में शुरू हो रहे कार्यक्रम में 36 व्यक्ति विश्वविद्यालय की दो में से एक कक्षा में शामिल होंगे, जिनका आयोजन प्रांत के उल्स्टर काउंटी में स्थित वालकिल करेक्शनल फैसिलिटी में किया जाएगा। ग्रीष्म 2015 सत्र में इस कार्यक्रम के तहत तीन और पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन कक्षाओं में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पढ़ाएंगे और कैदी छात्रों को गहन लिबरल आर्ट्स की शिक्षा दी जाएगी।

बंदीगृह से निकलने के बाद छात्र विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा जारी रख सकेंगे या अपने क्रेडिट को दूसरे संस्थान में स्थानांतरित करा सकेंगे।

इस पहल के तहत छात्रों को शिक्षा और रोजगार संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा।

इस सत्र में न्यूयार्क विश्वविद्यालय के कला और विज्ञान संकाय में अंग्रेजी की एसोसिएट प्रोफेसर तोरल गजरावाला कठिन शब्दों का विश्लेषण और व्याख्या पढ़ाएंगी।

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