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 कश्मीर : 150 साल पुरानी है डोगरा परंपरा | dharmpath.com

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कश्मीर : 150 साल पुरानी है डोगरा परंपरा

April 24, 2015 8:53 am by: Category: फीचर Comments Off on कश्मीर : 150 साल पुरानी है डोगरा परंपरा A+ / A-

images (1)जम्मू, 24 अप्रैल (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर में 150 साल से अधिक पुरानी डोगरा परंपरा को बरकरार रखते हए जम्मू एवं कश्मीर सरकार के शीर्ष कार्यालय शुक्रवार से जम्मू में अपना कामकाज बंद कर श्रीनगर में कामकाज शुरू करने के लिए कमर कस चुके हैं। अब अगले छह महीनों तक राज्य का कामकाज श्रीनगर से ही संचालित होगा।

राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल, शीर्ष नौकरशाहों और पुलिसकर्मियों सहित राज्य के शीर्ष कार्यालयों को बंद करने की यह प्रक्रिया डोगरा महाराज द्वारा शुरू की गई थी। जम्मू की अत्यधिक गर्मी और कश्मीर की कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए यह कदम उठाया गया था।

वर्ष 1947 में भारत में राज्य के सम्मिलन के बाद डोगरा राज समाप्त हो गया। लेकिन जम्मू एवं कश्मीर के बीच शीर्ष कार्यालयों के स्थानांतरण की यह प्रक्रिया अभी भी अनवरत बनी हुई है।

प्रतिवर्ष रिकॉर्डो को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। इन रिकॉर्डो को स्टील के ट्रंकों और अलमारियों में भरकर हर छह महीने के अंतराल के बाद दोनों राजधानियों में लाया ले जाया जाता है।

यहां तक कि मंत्रियों और शीर्ष नौकरशाहों को सुख-सुविधाएं और अन्य सहूलियतें दिए जाने के लिए भारी धनराशि खर्च की जाती है।

हालांकि, कार्यालयों को स्थानांतरित करने की इस प्रक्रिया को डोगरा परंपरा के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह आज भी ‘दरबार मूव’ के नाम से प्रचलित है।

राज्य द्वारा जम्मू को तकनीकी रूप से अकेला छोड़ने के बाद जम्मू के निवासियों के लिए अत्यधिक गर्मी, बार-बार बिजली में व्यवधान, पीने के पानी की किल्लत और अन्य गर्मी से जुड़ी हुई समस्याएं शुरू हो गई।

हर साल अप्रैल के अंत में राज्य का कामकाज कश्मीर में स्थानांतरित किया जाता है और यह वापस अक्टूबर के अंत तक वापस जम्मू लौट आता है।

सर्दी के महीनों में भारी बर्फबारी, अत्यधिक ठंड और जीवन की मूलभूत जरूरतों की कमी से घाटी जीवन प्रभावित होता है।

अधिकारियों, आधिकारिक रिकॉर्डो आदि के स्थानांतरण में सुविधा प्रदान कराने के लिए यातायात विभाग ने घोषणा की है कि जम्मू से श्रीनगर में 25 और 26 व तीन और चार मई को ही ट्रैफिक रहेगा।

इन दिनों, किसी भी वाहन को श्रीनगर से जम्मू जाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।

एक वरिष्ठ यातायात अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “यहां तक कि सेना के काफिले को भी राजमार्ग पर विपरीत दिशा में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

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