नरसिंहपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)। महात्मा गांधी को अपने राजनीतिक लाभ का हथियार बनाने वाले नेताओं के सिर पर से भले ही गांधी टोपी धीरे-धीरे नदारद होती जा रही हो, मगर मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक सरकारी स्कूल की गणवेश का हिस्सा आज भी गांधी टोपी है।
नरसिंहपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)। महात्मा गांधी को अपने राजनीतिक लाभ का हथियार बनाने वाले नेताओं के सिर पर से भले ही गांधी टोपी धीरे-धीरे नदारद होती जा रही हो, मगर मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक सरकारी स्कूल की गणवेश का हिस्सा आज भी गांधी टोपी है।
नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर बड़ा गांव का सरकारी उच्चतर बुनियादी शाला कई मायनों में अन्य विद्यालयों से अलग है। इस बात का अहसास आपको इस विद्यालय में पहुंचते ही होने लगेगा।
यह स्कूल ऐसा है, जहां कक्षाओं के बाहर आजादी के सेनानियों की तस्वीरें बनी हुई हैं। यहां विद्यार्थी बागवानी का काम करते हुए नजर आ जाएंगे। इतना ही नहीं, इस विद्यालय में सूत कातने वाले चरखे भी मौजूद हैं, यह बात अलग है कि अब चरखे चलते नहीं।
विद्यालय की प्रधानाचार्य पुष्पलता शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि इस संस्था की स्थापना 1844 को हुई थी। उसके बाद एक बार महात्मा गांधी का यहां आना हुआ और उन्होंने गांव के लोगों से बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने पर जोर दिया। महात्मा गांधी की बात को यहां के लोगों ने माना और उसके बाद से बागवानी, चरखा चलाने से लेकर गणवेश में गांधी टोपी को अनिवार्य कर दिया गया।
शर्मा के अनुसार, विद्यालय में वर्तमान में कक्षा पहली से आठवीं तक की कक्षा में 116 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। उनकी गणवेश सफेद शर्ट और नीला पेंट और गांधी टोपी है। यहां आने वाले हर विद्यार्थी को अपने सिर पर गांधी टोपी लगाने में गर्व महसूस होता है। वे अनुशासित रहकर अध्ययन करते हैं।
उन्हें सेनानियों की कहानियां सुनाई जाती हैं। ये नियमित रूप से बागवानी भी करते हैं। यहां पहले हर शनिवार को नियमित रूप से चरखा चलाने का एक चक्र (पीरियड) होता था, मगर अब ऐसा नहीं है।
प्रधानाध्यापक शर्मा मानती हैं कि इस विद्यालय में ज्यादातर बच्चे उन परिवारों के हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे निजी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ने जाने लगे हैं। मगर यहां के विद्यार्थियों में अनुशासन व अपने काम के प्रति समर्पण का भाव गजब का है। वे अपने को किसी से कम नहीं मानते। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके आदर्श सेनानियों के साथ महात्मा गांधी जो हैं।
विद्यालय के शिक्षक संदीप कुमार शर्मा बताते हैं कि इस विद्यालय के चार शिक्षकों नरेंद्र शर्मा, महेश शर्मा, शेख नियाज और देव लाल बुनकर को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। संभवत: यह प्रदेश का इकलौता विद्यालय होगा, जहां के चार शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला हो।
विद्यालय के ठीक सामने व्यापारिक प्रतिष्ठान के संचालक मनीष महाजन कहते हैं कि इस विद्यालय के विद्यार्थियों के सिर पर गांधी टोपी देखकर हर कोई रोमांचित हो जाता है और बच्चों को गांधी टोपी लगाए देखना सुखद भी लगता है।
गांधी की विरासत को सहेजने वाले इस विद्यालय की क्षेत्र में अलग ही पहचान है, क्योंकि इस विद्यालय ने कई होनहार विद्यार्थी भी दिए हैं, जो प्रदेश की सरकारी नौकरी में अहम पदों पर हैं।