शिलांग, 24 जून (आईएएनएस)। मेघालय सरकार ने कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1973 से राज्य को मुक्त करने के लिए शुक्रवार को केंद्र सरकार से अनुरोध करने का फैसला किया। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा ‘रैट-होल कोल माइनिंग’ (निजी स्तर पर लोगों या समुदायों द्वारा बिल खोद कर कोयला खनन की प्रक्रिया) पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने इस आशय का निर्णय किया है।
मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने संवाददाताओं से कहा, “राज्य मंत्रिपरिषद ने राज्य के खनन एवं भू-विज्ञान विभाग को आदेश दिया है कि वह कोयला खदान (राष्ट्रीकरण) अधिनियम 1973 से राज्य को मुक्त करने का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष उठाए।”
कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण)अधिनियम 1973 की धारा 3 के अनुसार कोयला खदानों के अधिकार, स्वामित्व, शीर्षक, खान के संदर्भ में खान मालिकों के हित का अधिकार पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के पास होगा।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा राज्य में रैट-होल कोयला खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मेघालय सरकार ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है। राज्य सरकार का प्रयास है कि केंद्र सरकार संविधान की छठी अनुसूची के पैरा 12ए (बी) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना के जरिए राज्य को केंद्रीय कानून से मुक्त करे।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “गत साल से हमने इस मुद्दे पर कई बार चर्चा की और हमने करीब-करीब चर्चा पूरी कर ली है। इसलिए राज्य मंत्रिपरिषद ने खनन एवं भू-विज्ञान विभाग को इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने और राष्ट्रीय कानून से प्रदेश को मुक्ति दिलाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने का आदेश दिया है।”
संगमा ने कहा कि राज्य में खनन गतिविधियों को नियमित करने के लिए राज्य सरकार ने खान एवं खनिज नीति 2012 बनाई थी।
अखिल दिमासा छात्र संघ और दिमा हसाओ जिला समिति ने न्यायाधिकरण में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि जैंतिया की पहाड़ियों में कोयला खनन से कोपिली नदी का पानी अम्लीय हो रहा है। याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधिकरण ने 17 अप्रैल, 2014 को रैट-होल कोल माइनिंग पर अंतरिम प्रतिबंध लगा दिया था।
मेघालय में कोयला खनन जनजातीय प्रथागत अधिकारों का हिस्सा रहा है।