नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ में जुट गई हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री एवं रिपबल्किन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष रामदास अठावले उप्र चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपनी पार्टी आरपीआई के गठजोड़ को लेकर गंभीर हैं। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा-आरपीआई गठबंधन उप्र चुनाव में जीत का परचम लहराएगा।
नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ में जुट गई हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री एवं रिपबल्किन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष रामदास अठावले उप्र चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपनी पार्टी आरपीआई के गठजोड़ को लेकर गंभीर हैं। उन्हें उम्मीद है कि भाजपा-आरपीआई गठबंधन उप्र चुनाव में जीत का परचम लहराएगा।
अठावले ने आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा, “हम यूपी चुनाव से पहले आरपीआई का भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर गंभीर हैं। इस गठबंधन से यूपी विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज होगी।”
भाजपा के साथ गठबंधन के फैसले को प्राथमिकता बताते हुए वह कहते हैं, “नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा में लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत दर्ज की गई थी और अब इसी सिलसिले को यूपी में भी दोहराया जाएगा। आरपीआई के भाजपा के साथ जुड़ने से चुनाव में पार्टी को बड़ी संख्या में दलित वोट मिलेंगे।”
अठावले ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख को निशाने पर लेते हुए कहा, “मायावती दलितों के नाम पर ही अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही हैं। ‘हाथी’ आरपीआई का चुनाव चिह्न था जिसे उन्होंने धोखे से हड़प लिया। बसपा ने हमारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया है।”
दलित नेता अठावले ने कहा कि वह उप्र चुनाव में बसपा के दलित वोट काटने नहीं जा रहे हैं, बल्कि ये दलित वोट शुरू से ही आरपीआई के साथ रहे हैं, जिसे दिग्भ्रमित किया गया है।
उन्होंने कहा, “अगर भाजपा के साथ आरपीआई का गठबंधन होता है तो यकीनन यूपी में भाजपा का उम्मीदवार ही मुख्यमंत्री बनेगा।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा के साथ आरपीआई के गठबंधन के बाद सूबे में भाजपा का मुख्यमंत्री बना। इसी तरह जब आरपीआई कांग्रेस के साथ थी तो हर बार कांग्रेस का उम्मीदवार ही मुख्यमंत्री बनता था, जिसका साफ मतलब है कि हर बार दलित वोट कांग्रेस की झोली में जाते थे।
अठावले ने पूरे विश्वास के साथ कहा, “यूपी में आरपीआई को 25-30 सीटें जरूर मिलेंगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उप्र चुनाव से पहले भाजपा अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं करेगी।
मायावती द्वारा उन्हें ‘भाजपा का गुलाम’ कहे जाने पर अठावले कहते हैं, “मैं मायावाती जी से प्रश्न पूछूंगा कि वह भाजपा के समर्थन से तीन बार सूबे की मुख्यमंत्री रहीं तो क्या तब वह भाजपा की गुलाम थीं?”
वह दावा करते हैं कि बसपा के कई कार्यकर्ता और विधायक मायावती से नाराज हैं और वे आरपीआई के संपर्क में हैं। उनके आरपीआई में शामिल होने का औपचारिक ऐलान जल्द ही किया जाएगा।
अठावले बोले, “महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण देने का बिल 15-16 साल से लंबित है। इस बारे में मैं जल्द ही मोदी जी से बात करूंगा।”
यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाता है, तब आरपीआई की रणनीति क्या होगी, उन्होंने कहा, “पूरी कोशिश है, गठबंधन तो जरूर होगा, यदि नहीं होता है तो हम कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और बाकी सीटों पर भाजपा को समर्थन देंगे।”
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उन्होंने सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत तक बढ़ाने की पैरवी की है। उनका कहना है कि सभी जाति के गरीबों को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए। आरक्षण का चाहे जितना भी विरोध हो, लेकिन यह कभी खत्म नहीं होगा।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मैं हर जाति के गरीबों को आरक्षण देने के पक्ष में रहा हूं, फिर चाहे वह हरियाणा के जाट हों, महाराष्ट्र के मराठा हों, गुजरात के पटेल हों। इसके लिए संविधान प्रदत्त आरक्षण की सीमा को 49.5 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी करना होगा, जिसके लिए प्रयास जारी हैं।”
आरपीआई का 11 सितंबर को इलाहाबाद में और 18 सितंबर को अमरोहा में कार्यक्रम है, जहां आगामी रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।