नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 20,000 टन अनुपयोगी सोने को अर्थव्यवस्था को गति देने और इसके आयात में कमी लाने के मकसद से गुरुवार को तीन योजनाएं शुरू कीं। इनमें स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (जीएमएस), सार्वभौमिक स्वर्ण बांड योजना और स्वर्ण सिक्का एवं बुलियन योजना शामिल हैं।
योजना में शामिल ‘मेड इन इंडिया’ सोने के सिक्के पर राष्ट्रीय चिह्न् अशोक चक्र के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की छवि अंकित होगी।
दो अन्य योजनाओं में से एक स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (जीएमएस) है, जिसके तहत लोग अपने पास मौजूद आभूषण व अन्य स्वर्ण संपत्तियों को जमा कर इन पर ब्याज हासिल कर सकेंगे।
इसके साथ प्रधानमंत्री ने सार्वभौम स्वर्ण बांड योजना की भी शुरुआत की। इस बांड की अवधि आठ साल की होगी। लेकिन, इस योजना से पांच साल बाद निकलने का विकल्प भी होगा। इन पर सालाना 2.75 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास 7 रेसकोर्स पर इन योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा कि ये योजनाएं महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करेंगी। उन्होंने कहा कि अब विदेश में बने सोने के सिक्के लेने की मजबूरी खत्म हो गई है।
मोदी ने कहा, “ये योजनाएं अब महिलाओं के सोने की हिफाजत करेंगी। घर से बाहर जाने के दौरान उन्हें यह चिंता लगी रहती थी कि सोना कहां रखें। भारतीय परिवारों में सोने को संभालकर रखने की परंपरा है। ये योजनाएं इस परंपरा की हिफाजत करेंगी।”
उन्होंने कहा कि लोगों से घनिष्ठ संबंध रखने वाले सुनार इन योजनाओं के सबसे बड़े एजेंट साबित हो सकते हैं।
मोदी ने कहा, “भारत को गरीब देश कहने की कोई वजह नहीं है क्योंकि इसके पास तो 20000 टन सोना है। देश में मौजूद इस सोने को उत्पादक कार्यो में लगाया जाना चाहिए।”
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (जीएमएस) 2015, मौजूदा स्वर्ण जमा योजना 1999 का स्थान लेगी। लेकिन, स्वर्ण जमा योजना के तहत बकाया जमा को परिपक्वता तक चलने दिया जाएगा, बशर्ते कि जमाकर्ता उन्हें समय से पहले वापस न निकाल लें।
भारत के निवासी (व्यक्ति विशेष, एचयूएफ यानी संयुक्त हिंदू परिवार, सेबी (म्युचुअल फंड) विनियम के तहत पंजीकृत म्युचुअल फंड/एक्सचेंज ट्रेडेड फंड समेत ट्रस्ट एवं कंपनियां) इस योजना के तहत सोना जमा कर सकते हैं। इसमें एक समय में कम से कम 30 ग्राम सोने के समतुल्य कच्चा सोना (छड़, सिक्का, स्टोन्स व अन्य मेटल रहित गहने) बैंक में रखना होगा।
इस योजना के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा प्रमाणित संग्रह एवं शुद्धता परीक्षण केंद्रों (सीपीटीसी) पर सोने को स्वीकार किया जाएगा।
सार्वभौमिक स्वर्ण बांड के लिए आवेदन पांच नवंबर, 2015 से 20 नवंबर, 2015 के बीच स्वीकार किए जाएंगे। ये बांड 26 नवंबर, 2015 को जारी किए जाएंगे।
सार्वभौमिक स्वर्ण बांडों की बिक्री केवल व्यक्ति विशेष, एचयूएफ (संयुक्त हिंदू परिवार), ट्रस्ट, विश्वविद्यालय और चैरिटेबल संस्थान समेत निवासी भारतीय निकायों तक ही सीमित रहेगी।
बांड को एक ग्राम की एक बुनियादी इकाई के गुणकों में नामित किया जाएगा। इस बांड की मियाद आठ साल होगी। इसमें पांचवें साल से बाहर निकलने का विकल्प होगा और ब्याज भुगतान की तारीख को इससे बाहर निकला जा सकेगा।
भारतीय स्वर्ण सिक्का एवं बुलियन स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का ही एक हिस्सा है। यह सिक्का भारत में ढाला गया अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय स्वर्ण सिक्का है।
प्रारंभ में यह सिक्का पांच और 10 ग्राम में उपलब्ध होगा। इसके अलावा 20 ग्राम का बुलियन भी उपलब्ध होगा।