इस पाक माह में कोई भी रोजेदार छोटी-छोटी बुराइयों से बचने की कोशिश करता है और कमजोर लोगों की बेहतरी के लिए कोशिश करता है। इफ्तार के जरिए भाईचारे को बढ़ावा दिया जाता है तो जकात के जरिए लोग जरूरतमंदों की मदद करते हैं।
मौलाना सलमान हुसैन नदवी ने फरमाया कि मजहबी दायरे से बाहर देखें तो रमजान इंसान को बेहतर बनाने का बड़ा जरिया है। इस माह में लोग अच्छाई की ओर बढ़ने और बुराई से दूर भागने की कोशिश करते हैं। यही कोशिश उन्हें बतौर इंसार बेहतर बनाती है।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग इस माह में ईद से पहले जकात निकालते हैं। इससे जरूरतमंदों को मदद मिलती है। रमजान में कोशिश रहती है कि लोगांे की ज्यादा से ज्यादा मदद की जाए। इस माह में सवाब का दायरा भी 70 गुना अधिक हो जाता है।
मौलाना ने कहा कि पैगम्बर सल्लाहो अलैहेवसल्लम ने भी यही फरमाया था कि लोगांे की किसी न किसी सूरत में मदद करने की कोशिश करो। रमजान में रोजेदार दिन में कई बुनियादी बातों का एहतराम करता है। मसलन, वह खाने-पीने और बुराइयों से दूर रहने के साथ-साथ इबादत पर जोर देता है।
उन्होंने का कि रमजान सिर्फ खाने-पीने से दूर रहने का नाम नहीं है। इसमें तमाम बुराइयों से दूर रहकर अच्छाइयों की ओर रुख बनाए रखना पड़ता है। नबी करीम ने इसी पहलू को सबसे अहम बताया है। रमजान में इंसान सब्र करता है और उसके भीतर चीजों को सहने की कूबत बढ़ती है।
मौला ने का कि बेहतर इंसान बनना और लोगों को बेहतरी और जनकल्याण के लिए प्रेरित करना रमजान का असली संदेश है। यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है।