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 ‘मिशन टाइगर’ : एक सिनेमाई परियोजना (29 जुलाई : विश्व बाघ दिवस) | dharmpath.com

Wednesday , 18 June 2025

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‘मिशन टाइगर’ : एक सिनेमाई परियोजना (29 जुलाई : विश्व बाघ दिवस)

नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। बाघ के शरीर की काली धारियां भारतीय जंगल की शान हैं। ये धारियां प्रकृति में शक्ति, रहस्य और सौंदर्य का प्रतीक हैं। बाघों का संरक्षण आज भारत ही नहीं, दुनियाभर में गंभीर चर्चा का विषय है। जंगल एवं जानवर प्रेमी लगातार इस दुर्लभ प्रजाति के विलुप्त होने के खतरे पर चिंता प्रदर्शित करते आए हैं।

हाल ही में बाघ को सबसे लोकप्रिय जानवर के तौर पर चुना गया है, लेकिन अफसोस की बात है कि बाघों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय कालाबाजार गिरोह, शिकारी और खनन व भू-माफिया बाघों के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं।

वर्ष 2014 में जारी गणना रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में बाघों की जनसंख्या में 97 प्रतिशत की कमी आई है। अवैध गतिविधियों के चलते वर्ष 1900 के मुकाबले बाघों की संख्या एक लाख से घटकर मात्र 3,200 रह गई है। इससे बड़ी चिंता यह है कि बाघों की संख्या में गिरावट का क्रम लगातार जारी है।

दुनिया के जिन देशों में बाघ पाए जाते हैं, उनमें भारत सबसे ज्यादा बाघों की जनसंख्या वाला देश है। केरल के वयनाड जिले में नौ हजार वर्ग क्षेत्रफल में फैले नागराहोल-मुदुमलाई इलाके में लगभग 400 बाघ पाए जाते हैं। यह बाघों का जनसंख्या के मामले में सबसे बड़ा इलाका है, माना जाता है कि दुनियाभर के किसी एक इलके में इतने बाघ कहीं नहीं पाए जाते।

बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 29 जुलाई को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस’ घोषित किया गया है। बाघों के संरक्षण की महत्ता को ध्यान में रखते हुए ‘मिशन टाइगर’ फिल्म के जरिए बाघों की रक्षा के लिए आम जनता की जिम्मेदारियों को समझाने की कोशिश की जा रही है।

‘मिशन टाइगर’ एक हिंदी फिल्म है जो जंगल में फैले उन शिकारियों से बाघों को बचाने की मुहिम है, जो मात्र पैसों के लिए इस अनोखी प्रजाति को नष्ट करना चाहते हैं।

तेजी से विलुप्त होती बाघों की प्रजाति के विषय में जागरूकता पैदा करने के लिए केरल की एंटरटेनमेंट कंपनी ‘फ्यूचर प्रोडक्शन’ ने इस फिल्म का प्रोडक्शन किया है।

इस फिल्म की पटकथा कार्यरत इंडियन फॉरेस्ट ऑफिसर टी.आर. बीजूलाल ने बाघों के सरक्षण में की गई मशक्कत और निजी जिंदगी से प्रेरित हो कर लिखी है। इस फिल्म के जरिए बीजूलाल का एक मात्र मकसद जनता के बीच बाघों की महत्ता को प्रदर्शित करना है।

उत्तराखंड में कार्यरत बीजूलाल के साथ बहुचर्चित कलाकार विजय राज ने इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाया है।

‘मिशन टाइगर’ की टीम का विश्वास है कि इस फिल्म के जरिए बाघों की प्रजाति को बचाने की इस मुहिम का सही और ठोस संदेश समाज तक पहुंचेगा। साथ ही आज के दौर में बाघों की महत्ता और भविष्य में प्रकृति के लिए बाघों की जरूरत पर चर्चाएं छिड़ेंगी।

‘मिशन टाइगर’ : एक सिनेमाई परियोजना (29 जुलाई : विश्व बाघ दिवस) Reviewed by on . नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। बाघ के शरीर की काली धारियां भारतीय जंगल की शान हैं। ये धारियां प्रकृति में शक्ति, रहस्य और सौंदर्य का प्रतीक हैं। बाघों का संरक्ष नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। बाघ के शरीर की काली धारियां भारतीय जंगल की शान हैं। ये धारियां प्रकृति में शक्ति, रहस्य और सौंदर्य का प्रतीक हैं। बाघों का संरक्ष Rating:
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