नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 अप्रैल) को उत्तर प्रदेश के मदरसा कानून को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है.
उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए पांच विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई थीं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि फैसले के खिलाफ चुनौतियों में उठाए गए मुद्दे ‘बारीकी से विचार करने लायक हैं.’
अदालत ने कहा कि ‘लगभग 17 लाख छात्रों की भविष्य की शिक्षा’ प्रभावित होगी.
कोर्ट ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हाईकोर्ट ने भी इस एक्ट को सही ढंग से नहीं देखा है. जैसा कि द वायर ने एक खबर में बताया था कि हाईकोर्ट ने 86 पन्नों के फैसले में कहा था कि मदरसा अधिनियम ‘धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है.’
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण दिया
लाइव लॉ के अनुसार, पीठ ने कहा, ‘कानून को रद्द करने में हाईकोर्ट ने प्रथमदृष्टया अधिनियम के प्रावधानों को गलत समझा. अधिनियम किसी भी धार्मिक निर्देश का प्रावधान नहीं करता है. क़ानून का उद्देश्य नियामक प्रकृति का है.’