नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) ने कनाडा और आर्मेनिया के उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ दो सहमित-पत्रों पर सोमवार को हस्ताक्षर किए।
विज्ञान भवन में विश्व होम्योपैथी दिवस पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सीसीआरएच और कॉलेज ऑफ होम्योपैथ ऑफ ओंटारिया, कनाडा और सीसीआरएच और येरवन स्टेट मेडिकल युनिवर्सिटी, आर्मेनिया के बीच इन समझौता-पत्रों पर हस्ताक्षर हुए।
इस अवसर पर केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येशो नाईक ने समापन भाषण में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर देश के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि पिछले कुछ समय के दौरान होम्योपैथी ने अहम तकनीकी छलांग लगाई है और इसके प्रमाण दिनों दिन दिख रहे हैं।
मंत्री ने सम्मेलन के दौरान होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने इस सम्मेलन में होम्योपैथी में शिक्षा और शोध के लिए दो देशों के बीच समझौता-पत्रों पर हस्ताक्षर की भी प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, “होम्योपैथी के क्षेत्र में शोध एक प्रमुख काम होता जा रहा है। इस क्षेत्र में अभी और भी कई अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन कायम हो सकते हैं। इस तरह के गठबंधनों की काफी जरूरत है।”
विश्व होम्योपैथी दिवस के मौके पर होम्योपैथी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन हैनिमन सैम्युअल को एक सत्र समर्पित किया गया। इसमें भारत और अंतर्राष्ट्रीय परि²श्य में होम्योपैथी के सामने मौजूद चुनौती पर एक सत्र आयोजित हुआ, जिसमें भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होम्योपैथी शिक्षा की स्थिति पर चर्चा की गई।
एक अन्य सत्र दवाओं के मान्यकरण और उनके विकास पर हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता नीदरलैंड के डॉ. मार्टिन ब्रांड्स ने की। इसके साथ ऑस्ट्रेलिया के डॉ. आइजक गोल्डन और भारत के डॉ. लक्ष्मीकांत नंदा ने भी इसमें अध्यक्ष के तौर पर हिस्सा लिया। उन्होंने इस मौके पर होम्योपैथी दवाओं के दुनिया भर में नियमन का मुद्दा उठाया।
सम्मेलन के एक अन्य सत्र में होम्योपैथी पर बायोमॉल्यूक्यूलर रिसर्च का भी मुद्दा उठा। इसके अलावा क्लीनिकल रिसर्च, शोध में अद्यतन विकास, मलेरिया, डेंगू, प्राकृतिक आपदा, मस्तिष्क आघात, कान के पुराने संक्रमण और साइटिका के इलाज में होम्योपैथी के योगदान पर चर्चा हुई।