शिमला, 1 मई (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश की 69 फीसदी आबादी को कृषि से सीधा रोजगार मिलता है, लेकिन यहां के नौकरशाहों को शायद बुवाई का मौसम खत्म हो चुका, यह जानकारी ही नहीं है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा कि वर्ष 2010 से 2015 के बीच राज्य के कृषि विभाग ने 9.39 करोड़ रुपये के 33 हजार 11 क्विं टल बीज किसानों को बुवाई का मौसम खत्म होने के बाद दिया है।
कैग ने यह भी कहा है कि इस अवधि में एक लाख टन उर्वरक की आपूर्ति भी कम रही है।
जिन जिलों में जांच की गई उनमें 2010 से 2015 के बीच किसानों के बीच 28 हजार 909.63 क्विं टल गेहूं और 4 हजार 101.47 क्विंटल मकई का बीज बुवाई का मौसम समाप्त होने के बाद बांटा गया। आकलन किया गया है कि इसमें एक दिन से लेकर 135 दिन तक देरी हुई।
कृषि विभाग के निदेशक ने कैग को सूचित किया है कि जिलों के 80 फीसदी इलाकों की खेती बारिश पर निर्भर है और कभी-कभी बारिश में कमी की वजह से फसलों की बुवाई में देर होती है।
कैग का कहना है कि यह जवाब स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि किसानों को बीज बुवाई का मौसम शुरू होने से पहले मुहैया कराना होता है।