देवांगन ने स्वयं के पैसों से सरकारी स्कूल का नक्शा ही बदल दिया है। जब आप राजधानी से लगे विकासखंड धरसींवा के गांव पठारीडीह के शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पहुंचेंगे तो अहसास ही नहीं होगा कि कोई सरकारी स्कूल इस हद तक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं।
बच्चों की बेहतरी के लिए लर्निग सॉफ्टवेयर बनाने वाले उत्तम कुमार देवांगन को शिक्षक दिवस के अवसर पर 5 सितंबर को राष्ट्रपति दिल्ली के विज्ञान भवन में सम्मानित करेंगे।
उत्तम कुमार देवांगन ने कहा, “मैंने पूर्व में अनुभव किया कि बच्चों को जिस पारंपरिक विधि से शिक्षा दी जा रही है, उससे अधिकांश बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है। सिखाई गई बातों को वो ठीक ढंग से तथा लंबे अंतराल तक अपने मस्तिष्क पटल पर नहीं रख पा रहे हैं। इस बात का मुझे निरंतर आभास होता चला गया कि शुरुआती शिक्षा के तरीके में बदलाव की नितांत जरूरत है।”
देवांगन ने स्वयं की आवाज में शिक्षण वीडियो बनाने के साथ ही स्वयं शिक्षण नीति भी बनाई, 48 फ्लेक्स चार्ट का निर्माण भी किया। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ लेखन में भी दक्ष बनाने के लिए शिक्षक ने स्वयं वर्कबुक का निर्माण भी किया। बच्चों को फोटोकॉपी कराकर नियमित अंतराल में बारंबार लेखन के लिए इसे दिया नतीजतन निरंतर अभ्यास के बाद सभी बच्चे पठन के साथ-साथ लेखन में भी पारंगत होते गए।
देवांगन ने बताया कि जब उन्हें महसूस होता कि बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है तो मनोरंजक गीत, पंचतंत्र, शिक्षाप्रद कहानियां, हिंदी-अंग्रेजी के कार्टून, कविताएं व देशभक्ति के गीत के माध्यम से बच्चों का मनोरंजन कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि पठारीडीह के तीसरी-चौथी के सभी बच्चों को 13 तक का पहाड़ा मुंहजुबानी याद है और अधिकांश छात्र जोड़-घटाना तथा गुणा-भाग के कठिन सवालों को मिनटों में हल कर लेते हैं।
देवांगन ने बताया कि सन् 1955 में आई फिल्म ‘जागृति’ में शिक्षक शेखर बाबू (अभिजीत भट्टाचार्य) द्वारा शाला के प्रधान पाठक से कहा जाता है कि उनके पास गुणवत्तायुक्त शिक्षण पद्धति की पूरी स्कीम तैयार है, लेकिन इसके लिए पढ़ाई के कई दकियानूसी तरीकों में तब्दीली लानी होगी।
देवांगन के अनुसार, फिल्म में शिक्षक द्वारा कहे गए वाक्यांश से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने एक ऐसी नई, सुगम, आनंददायी, विश्वसनीय, रोचक तथा अनूठी शिक्षक पद्धति ईजाद करने की ठानी, जिससे बच्चे पढ़ाई का बोझ व दवाब महसूस न कर सकें।
देवांगन बताते हैं कि वे अपनी नियुक्ति (वर्ष 2005) से ही कक्षा तीसरी-चौथी कक्षा को पढ़ाते थे, लेकिन जब बच्चों के गणित-अंग्रेजी से अनभिज्ञता उन्हें काफी पीड़ा पहुंचाती थी। उन्हें तीसरी-चौथी के बच्चों को पहली-दूसरी के स्तर पर पढ़ाना पड़ता था। तभी उन्होंने कल्पना की कि क्या कोई ऐसी शिक्षण पद्धति नहीं बनाई जा सकती है जो सरल होने के साथ-साथ मनोरंजक तथा आनंददायी हो?
यह विचार आते ही उन्होंने वर्ष 2013 से कक्षा पहली की कमान संभाली और अपने खर्च पर कम्प्यूटर सेट शाला में स्थापित किया। शुरुआत में बच्चों को हिंदी-अंग्रेजी अल्फाबेट के वीडियो और पोयम बच्चों को दिखाया, तो पाया कि बच्चे मॉनीटर से आकर्षित हो पढ़ाई में विशेष रुचि ले रहे हैं। आज जो परिणाम है, इसकी कल्पना उन्होंने स्वयं नहीं की थी।
देवांगन ने स्वयं की आवाज में अंग्रेजी फल, फूल, पक्षी, रंग, सब्जियां, पालतू, जंगली जानवरों के हिंदी-अंग्रेजी नाम, हिंदी के पाठ का डिजिटल रूपांतरण आदि वीडियो का निर्माण किया। इस प्रकार शिक्षक ने अपनी कक्षा को स्मार्ट बनाते हुए डिजिटल तकनीक के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन व सीखने-सिखाने के तरीकों को ही बदल डाला।
उत्तम देवांगन ने महसूस किया कि जो पाठ्य सामग्री बच्चों को डिजिटल तकनीक से कम्प्यूटर के जरिए सिखा रहे हैं, वह उन्हें घर में भी अभ्यास कर सकें। इसकी जरूरत महसूस करते हुए स्वयं एक पाठ्यपुस्तक का निर्माण किया, जिसमें विभिन्न कई निजी विद्यालयों की पुस्तकों से संकलित पाठ्य सामग्री प्रश्न-उत्तर सहित व इंटरनेट से संकलित व प्रकाशित कर दूसरी-तीसरी के बच्चों को नि:शुल्क वितरित किया।