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 पटना उच्च न्यायालय : जहां डॉ़ राजेंद्र प्रसाद ने की थी वकालत | dharmpath.com

Wednesday , 18 June 2025

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पटना उच्च न्यायालय : जहां डॉ़ राजेंद्र प्रसाद ने की थी वकालत

April 18, 2015 8:38 am by: Category: फीचर Comments Off on पटना उच्च न्यायालय : जहां डॉ़ राजेंद्र प्रसाद ने की थी वकालत A+ / A-

d845a42a1a6a6561a293185b07ed6b63_Lपटना, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। पटना उच्च न्यायालय के एक सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह वर्ष शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। पटना उच्च न्यायालय न केवल अपने अतीत और विरासत के कारण चर्चित रहा है, बल्कि इस न्यायालय के कई फैसले, यहां के न्यायाधीश और यहां वकालत कर चुके कई विद्वान वकीलों के कारण भी यह न्यायालय चर्चित रहा है।

पटना उच्च न्यायालय के गौरवशाली इतिहास का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके शताब्दी वर्ष समारोह में भाग लेने के लिए देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शुक्रवार को पटना पहुंचे। वहीं इस न्यायालय में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कई वर्षो तक वकालत की थी।

डॉ़ राजेंद्र प्रसाद ने वकालत शुरू करने के लिए 25 जून 1911 को पोर्ट विलियम बंगाल (कोलकाता उच्च न्यायालय) के मुख्य न्यायाधीश के नाम से आवेदन दिया था। उस समय बगैर मुख्य न्यायाधीश एवं रजिस्टार की अनुमति के वकालत प्रारंभ करने की प्रथा नहीं थी। पटना उच्च न्यायालय में आज भी उनके हाथ से लिखा वह आवेदन मौजूद है।

यही नहीं इस उच्च न्यायालय के लिए गर्व की बात है कि संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ़ सच्चिदानंद सिन्हा ने भी यहां वकालत की थी।

एक मार्च 1916 से पटना उच्च न्यायालय ने विधिवत कार्य करना प्रारंभ किया था। पटना उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एडवर्ड मेर्नड डेस चैम्पस चैरियर बने थे। प्रारंभ में यहां कुल सात जज होते थे जबकि आज यह संख्या 31 हो चुकी है।

यह उच्च न्यायालय जहां आजादी के बाद भी कई ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बना है, परंतु आजादी के पूर्व अमर क्रांतिकारियों की शहादत का भी यह उच्च न्यायालय गवाह रहा है।

महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस के फांसी दिए जाने की सजा भी पटना उच्च न्यायालय द्वारा ही दिया गया था। खुदीराम बोस को अंग्रेज न्यायाधीश के काफिले पर बम से हमला करने और इस घटना में दो महिलाओं की मौत के आरोप में मुजफ्फरपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने खुदीराम बोस को सजा सुनाई थी।

खुदीराम बोस की ओर से एक अपील पटना उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। जुलाई 1908 को हस्तलिखित 105 पन्ने के आदेश में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बोस को फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी।

पटना उच्च न्यायालय के इतिहास पर गौर करें तो पटना उच्च न्यायालय के तीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी़ पी़ सिन्हा, न्यायमूर्ति ललित मोहन शर्मा और न्यायमूर्ति आऱ एम़ लोढ़ा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।

पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील दीपक सिंह कहते हैं कि पटना उच्च न्यायालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। वह कहते हैं कि पटना उच्च न्यायालय की ख्याति अन्य राज्यों के उच्च न्यायालय से बेहतर है। बाहर से आए वकील और न्यायाधीश इस न्यायालय के काम करने के ढंग की प्रशंसा करते हैं।

बार एसोसिएशन के महासचिव नवीन कुमार सिंह भी कहते हैं कि पटना उच्च न्यायालय का शताब्दी वर्ष मनाया जाना न केवल बिहार के लोगों के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए गौरव का क्षण है जो न्याय प्रणाली पर विश्वास करते हैं। वह कहते हैं कि इस न्यायालय की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां के बहुत कम फैसलों को उच्चतम न्यायालय ने पलटा है।

उनका मानना है कि बिहार के गौरवशाली स्वर्णिम इतिहास में पटना उच्च न्यायालय का भी अहम योगदान है।

पटना उच्च न्यायालय : जहां डॉ़ राजेंद्र प्रसाद ने की थी वकालत Reviewed by on . पटना, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। पटना उच्च न्यायालय के एक सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह वर्ष शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। पटना उच्च न्यायालय न केवल पटना, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। पटना उच्च न्यायालय के एक सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह वर्ष शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। पटना उच्च न्यायालय न केवल Rating: 0
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