मनोज पाठक
मनोज पाठक
पटना, 24 फरवरी (आईएएनएस)। देश को कई रेलमंत्री दे चुके बिहार के लोगों को नरेन्द्र मोदी सरकार के रेल बजट से काफी उम्मीदें है। यहां के लोगों को नई रेलगाड़ियों, स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं और अटकी रेल परियोजनाओं के जल्द पूरा होने की उम्मीद है। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस रेल बजट से कोई खास उम्मीद नहीं है।
लोगों को आशा है कि इस बजट में बिहार की रेल परियोजनाओं के लिए विशेष राशि और नई रेलगाड़ियां मिले।
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ओ़ पी. शाह ने कहा, “रेल बजट से बिहार के लोगों को काफी आशा है। रेल बजट में बिहार की पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने का प्रावधान जरूर किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन को बुद्घ रेल परिक्रमा की एक महत्वपूर्ण कड़ी और भगवान बुद्घ की धरती से जुड़ा रेल नेटवर्क बताते हुए रेल विभाग ने इसे तय समय में पूरा करने का वादा किया था। परंतु 12 साल बीत जाने के बाद भी लोगों का इंतजार अबतक खत्म नहीं हुआ है।”
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना की आधारशिला तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने 10 फरवरी 2004 को रखी थी। पांच वर्षो में यानी 2009 तक हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन का काम पूरा हो जाना था।
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुनील सिंह कहते हैं कि पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार की फतुहा-इस्लामपुर-नेऊरा-दनियावां-बिहारशरीफ -बरबीघा-शेखपुरा के बीच रिंग रेल ट्रैक बनाने की घोषणा भी अभी पूरा होने के इंतजार में है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते प्रारंभ हुई इस परियोजना के लिए वर्ष 2015-16 के लिए मात्र दो करोड़ रुपये दिए गए थे।
बिहार रेल आंदोलन सर्वदलीय संघर्ष समिति के संयोजक प्रताप कुमार सिन्हा ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा गया है, जिसमें बिहार की तमाम परियोजनाओं को पूरा कराने और इसके लिए धनराशि का इंतजाम कराने का अनुरोध किया गया है।”
उन्होंने कहा, “बिहटा-औरंगाबाद, हाजीपुर-मोतीपुर, मधेपुरा-प्रतापगंज, बिहार-नेपाल को रेल लाइन से जोड़ने के लिए जयनगर-बीजलपुरा (नेपाल) के बीच 69 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना लटकी पड़ी है। इसी तरह मुंगेर में गंगा नदी पर निर्माणाधीन रेल सह सड़क पुल का निर्माण कार्य भी 80 प्रतिशत से ज्यादा पूर्ण हो चुका है, परंतु यह बीच में ही रुक गया है।”
पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अर्थशास्त्री एऩ क़े चौधरी का कहना है कि “बिहार रेल क्षेत्र में अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। बिहार का एक बड़ा क्षेत्र नेपाल के साथ जुड़ा हुआ है, जिसके लिए रेलगाड़ियों की संख्या इन क्षेत्रों में बढ़ाना काफी आवश्यक है। इसके अलावा यात्री सुविधाओं में भी वृद्घि होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि बिहार में पर्यटक क्षेत्रों तक रेल की पहुंच से न केवल केन्द्र सरकार को, बल्कि राज्य सरकार और स्थानीय लोगों को भी लाभ मिलेगा।
लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रेल बजट से कोई उम्मीद नहीं रखते। उन्होंने केंद्र सरकार के उस निर्णय का विरोध किया, जिसमें राज्य सरकारों से रेल परियोजनाओं में निवेश करने के लिए कहा गया है।
नीतीश ने कहा, “मुझे रेल बजट से कोई उम्मीद नहीं है। देश को रेल बजट से काफी उम्मीदें होती हैं। रेल मंत्री मेरे मित्र हैं और मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।”
बिहार में रेल पटरियां अब शहर में सड़क जाम का सबब बन रही हैं।
बिहार दैनिक यात्री संघ के अध्यक्ष शोएब कुरैशी कहते हैं कि “पटरियां पार करने में अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं और फाटक पर जाम रहता है। रेलवे को बजट में अंडरपास और ओवरब्रिज के लिए राशि आवंटित करनी चाहिए।”