Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 10 सालों से लंबित | dharmpath.com

Wednesday , 18 June 2025

Home » भारत » सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 10 सालों से लंबित

सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 10 सालों से लंबित

August 10, 2015 7:42 pm by: Category: भारत Comments Off on सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 10 सालों से लंबित A+ / A-

satlujचंडीगढ़, 10 अगस्त (आईएएनएस)| पंजाब और हरियाणा की दो प्रमुख नदियों को जोड़ने वाली नहर परियोजना पिछले 10 वर्षो से प्रेसीडेंशियल रिफरेंस की बाट जोह रही है।

यहां बात हो रही है सतलुज-यमुना लिंक नहर की। इसका एक बड़ा हिस्सा 1990 में ही तैयार हो चुका था। इस पर 1990 तक ही 750 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। पंजाब और हरियाणा को इससे पानी मिलना था। लेकिन दोनों राज्यों की तरफ से उठाए गए राजनैतिक और कानूनी पचड़े ने इस नहर को मुकम्मल नहीं होने दिया।

इस नहर की बुनियाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में रखी थी। काम हुआ भी, लेकिन दोनों नदियों के पानी के बंटवारे पर विवाद खड़ा हो गया।

उस समय पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। नहर के लिए पानी का मुद्दा पंजाब में बेहद संवेदनशील हो चुका था। आतंकवादियों ने नहर का काम रोकने के लिए इस पर काम करने वाले कुछ मजदूरों की हत्या भी की थी।

2004 में पंजाब विधानसभा ने बकायदा पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट विधेयक पारित कर जल बंटवारे से जुड़े सभी समझौते रद्द कर दिए और कहा कि अब और पानी हरियाणा को नहीं दिया जाएगा।

दोनों राज्यों ने अपनी बात केंद्र सरकार के सामने रखी। सरकार ने इस पर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस लेने का फैसला किया।

प्रेसिडेंशियल रिफरेंस का अर्थ यह होता है कि सरकार कानून के किसी बेहद उलझे मामले या दो राज्यों के बीच उलझे किसी मामले को राष्ट्रपति के जरिए सर्वोच्च न्यायालय तक भेजती है और न्यायालय से मसले पर राय मांगती है। सर्वोच्च न्यायालय फिर अपनी राय राष्ट्रपति के जरिए सरकार तक पहुंचाता है।

आज 10 साल हो गए लेकिन सतलुज-यमुना लिंक नहर पर यह राय नहीं मिली।

अब एक बार फिर हरियाणा सरकार जागी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “यह देश का एक ऐसा मामला है जो दस साल से प्रेसिडेंशियल रिफरेंस की राह देख रहा है। हरियाणा के वकील से कहा गया है कि वह अदालत में अपनी बात मजबूती से रखें।”

हरियाणा का कहना है कि उसकी समस्या दोहरी है। एक तो उसे उसके हक का पानी नहीं मिल रहा है। दूसरे, दिल्ली की और पानी की मांग हरियाणा से ही है। अब अगर राज्य को ही पानी नहीं मिलेगा तो वह दिल्ली के लिए कहां से पानी लाएगा।

किसी समय इस परियोजना से जुड़ रहे अभियंता बलबीस सिंह (सेवानिवृत्त) ने आईएएनएस से कहा, “इन वर्षो के दौरान नहर टूट-फूट गई। कंकरीट की दिवार खंडहर हो गई है और हर जगह जंगल उग आए हैं। बारिश के मौसम में नहर के हिस्से में पानी भर जाता है ओर आम जनता के लिए परेशानी पैदा होती है, खासतौर से किसानों के लिए।”

सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 10 सालों से लंबित Reviewed by on . चंडीगढ़, 10 अगस्त (आईएएनएस)| पंजाब और हरियाणा की दो प्रमुख नदियों को जोड़ने वाली नहर परियोजना पिछले 10 वर्षो से प्रेसीडेंशियल रिफरेंस की बाट जोह रही है। यहां बा चंडीगढ़, 10 अगस्त (आईएएनएस)| पंजाब और हरियाणा की दो प्रमुख नदियों को जोड़ने वाली नहर परियोजना पिछले 10 वर्षो से प्रेसीडेंशियल रिफरेंस की बाट जोह रही है। यहां बा Rating: 0
scroll to top