नई दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने देश के पूर्वी क्षेत्र में हरित क्रांति का सूत्रपात करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
‘पूर्वी भारत में कृषि परिदृश्य, समीक्षा और भावी संभावनाओं’ विषय पर सोमवार को पूसा, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि विशेष रूप से देश के पूर्वी क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति की शुरूआत करने के लिए उर्वरकों का संतुलित उपयोग किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरिया और रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग से बचा जा सकता है। उन्होंने पारिस्थितिकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जैविक खेती के महत्व को रेखांकित किया।
सिंह ने कहा कि पहली बार मृदा सेहत कार्ड को एक मिशन के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है और देश के हर किसान को अगले तीन वर्षो के दौरान मृदा सेहत कार्ड मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि फसलों के कारगर प्रबंधन के लिए मिट्टी के पोषक तत्वों के बारे में पूरी जानकारी किसानों को दी जायेगी।
सिंह ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज एवं कृषि पौध सामग्री उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में अग्रपंक्ति वाली विस्तार प्रणाली और क्षेत्र विस्तार प्रणाली को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। सिंह ने कहा कि कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी को इस संदर्भ में अहम भूमिका निभानी चाहिए।
सिंह ने कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार के विभिन्न कदमों जैसे कि मृदा सेहत प्रबंधन प्रणाली, मृदा प्रंबधन प्रयोगशालाओं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार और परंपरागत कृषि विकास योजना पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच समुचित तालमेल के जरिये प्रधानमंत्री के ‘प्रति बूंद ज्यादा फसल’ विजन को साकार किया जा सकता है।
उन्होंने इस अवसर पर जानकारी दी कि शैक्षणिक एवं अनुसंधान के अवसरों को बढ़ाने के लिए झारखंड और असम में एक-एक ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान’ स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। इससे देश के पूर्वी क्षेत्र में हरित क्रांति और कृषि उत्पादकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।