तेहरान, 23 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां कहा कि ईरान और अफगानिस्तान के साथ आर्थिक संबंध देश की प्राथमिकता है और चाबहार परिवहन और पारगमन गलियारे से इस क्षेत्र के इतिहास की धारा बदल जाएगी।
मोदी ने यहां परिवहन और पारगमन गलियारा के लिए चाबहार बंदरगाह पर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “आर्थिक आदान-प्रदान का एजेंडा हमारी एक स्पष्ट प्राथमिकता है। हम अपने उद्देश्य के लिए एकजुट हैं।”
उन्होंने कहा, “आज हम एक इतिहास रचने के साक्षी हैं। सिर्फ अपने तीन देशों के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए।”
मोदी ने तीनों देशों के लिए शांति और समृद्धि का नया मार्ग बनाने का प्रस्ताव रखा और कहा, “यह हमारा साझा लक्ष्य है। हम दुनिया के साथ जुड़ना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “इस गलियारे से पूरे क्षेत्र में वाणिज्य-व्यापार की धारा फूट पड़ेगी।”
उन्होंने कहा कि पूंजी और प्रौद्योगिकी के अंतर्प्रवाह से चाबहार में नई औद्योगिक अवसंरचना का निर्माण हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इसमें गैस आधारित ऊर्वरक संयंत्र, पेट्रोकेमिकल, फार्माश्यूटिकल और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग शामिल हैं।”
मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान को शेष दुनिया के साथ व्यापार करने के लिए प्रभावी और अधिक मित्रवत मार्ग मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस मार्ग का विस्तार मध्य एशियाई देशों तक किया जा सकता है और जब इसे अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे से जोड़ा जाएगा, तो यह एक ओर दक्षिण एशिया से और दूसरी ओर यूरोप से जुड़ जाएगा।
उन्होंने कहा, “पारंपरिक समुद्री मार्गो के मुकाबले इस मार्ग से यूरोप तक माल भेजने में लगने वाले समय और खर्च में 50 फीसदी तक बचत होगी।”
मोदी ने कहा, “चाबहार गलियारा हमारे लोगों के लिए शांति और समृद्धि का गलियारा होगा। आर्थिक विकास और सशक्तीकरण से इसे मजबूती मिलेगी। यह हमारे देशों के बीच की सीमाओं को तोड़ेगा और आम लोगों के आपसी संपर्क की नई मिशाल पेश करेगा।”
मोदी ने कहा, “यह समझौता उनके विरुद्ध आपसी सहयोग के लिए खड़े होने की हमारी क्षमता को मजबूती देगा, जिनका एकमात्र मकसद बेगुनाहों की हत्या करना है।”
हसन रूहानी ने कहा, “चाबहार में हमारे संयुक्त निवेश से हम भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और सीआईएस देशों के साथ जोड़ सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे देशों के लिए भी इस समझौते से जुड़ने की गुंजाइश है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि एशिया बदल रहा है और यह एक आर्थिक महादेश बनने की दिशा में अग्रसर है।
उन्होंने कहा, “हम साबित करना चाहते हैं कि भूगोल हमारी सीमा नहीं है। अपनी इच्छा शक्ति से हम भूगोल बदल सकते हैं।”