Friday , 10 May 2024

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जानकी मंदिर को उड़ाने के अलकायदा की साजिश नाकाम

RH-Janaki-Mandir-Al-Queada-Attackजनकपुर। नेपाल में जनकपुरी धाम स्थित सुप्रसिद्ध जानकी मंदिर को अलकायदा के द्वारा विस्फोट कर उड़ाने से बचा लिया गया है। स्पेशल ऑपरेशन में अलकायदा के 20 आतंकी पकड़े गए हैं। जिसमें 12 भारतीय, 6 पाकिस्तानी और दो नेपाली नागरिक हैं। इन आतंकियों ने जानकी मंदिर को बम विस्फोट कर 13 दिसम्बर को उड़ाने की साजिश रची थी। लेकिन ईमेल से सुराग में मिलने के बाद इन आतंकियों धर-दबोचा गया। इससे पहले इन आतंकियों ने 6 दिसम्बर को ही प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर को उड़ाने की साजिश रची थी, लेकिन नेपाली सुरक्षा एजेंसियों ने उनके नापाक इरादों को नेस्ताबूत कर दिया।

इन आतंकियों की गिरफ्तारी काठमांडू के अलग-अलग ठिकानों से हुई है। नेपाल सुरक्षा बल को इनकी

आतंकी गतिविधियों की गुप्त सूचना मिली थी। उसके बाद छह दिनों तक चले स्पेशल ऑपरेशन में इन आतंकियों को दबोचा गया। शुक्रवार से बुधवार की रात तक लगातार ऑपरेशन चलता रहा। इसकी पुष्टि काठमांडू के महानगरीय पुलिस आयुक्त (एआईजी) विज्ञान राज शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि ये सभी ‘कल्कि अवतार फाउंडेशन इंटरनेशनल’ से जुड़कर नेपाल में सक्रिय थे। इस संगठन का सहारा लेकर छह दिसंबर को पशुपतिनाथ मंदिर एवं आगामी 13 दिसंबर को जानकी मंदिर में धार्मिक आयोजन के बहाने बम विस्फोट करने की योजना थी। शर्मा ने आशंका जताई है कि गिरफ्तार आतंकी का अलकायदा से संपर्क हो सकता है।

विस्फोट के सिलसिले में किया गया एक ईमेल नेपाल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को पता चल गया। ईमेल में युनूस-अल-गौहर नामक व्यक्ति को यह जानकारी दी गई थी कि छह दिसम्बर को पशुपति मंदिर में विस्फोट का सारा बंदोबस्त हो गया है। यह ईमेल भारतीय नागरिक अनिल चौहान के नाम से किया गया था। जांच-पड़ताल में अनिल चौहान एक पाकिस्तानी नागरिक निकला जिसका नाम क्यूम रियाज है। उसके बाद पांच दिसम्बर की ही रात काठमांडू के कपन स्थित राजकुमार महर्जन के घर छापा मारकर नेपाल पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया। उनमें पांच महिलाएं हैं। उक्त गिरफ्तारों से पूछताछ के आधार पर होती रही छापेमारी में बुधवार की रात तक कुल 20 आतंकियों को दबोचा गया।

नेपाल सुरक्षा बल ने अभी सभी आतंकियों के नाम का खुलासा नहीं किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनका स्पेशल ऑपरेशन अभी दो एक दिनों तक और चलेगा। खुफिया सूत्रों की मानें तो अलकायदा प्रमुख अल जवाहीरी एशियाई देशों में संगठन विस्तार के उद्देश्य से भारत के अलावा नेपाल को भी चुना था। उसके बाद सांगठनिक ढाँचे को खड़ा करने के लिए चार माह पूर्व ही कुछ पाकिस्तानी नागरिक नेपाल में घुस आये थे। वे स्थानीय लोगों में पैठ बनाकर अपनी विध्वंसक योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गये।

आतंकियों के इतने बड़े दल को दबोचने के बाद एहतियातन तौर पर पशुपतिनाथ मंदिर एवं जानकी मंदिर की सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है। जानकी मंदिर में सांगठनिक आयोजनों व कार्यक्रमों पर भी तत्काल रोक लगा दी गई है। इधर, इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बिहार के सीमाई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। पश्चिमी व पूर्वी चंपारण, मधुबनी, सीतामढ़ी में सीमा क्षेत्र में चौकसी बढ़ा दी गई है।

नेपाल आतंकियों के छिपने का ठिकाना रहा है। इंडियन मुजाहिदीन का कमांडर यासीन भटकल और उसका खास सहयोगी असदुल्लाह उर्फ हड्डी को नेपाल से भारत में घुसते वक्त सीमा क्षेत्र से ही दबोचा गया था। भटकल नेपाल के पोखरा में रहता था। यूनानी दवाओं से लोगों का इलाज करता था और पर्दे के भीतर से अपनी आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ता था। वहीं हड्डी बच्चों को पढ़ने की आड़ में अपना काम करता था। इनसे पूछताछ के बाद ही आईएम के कुख्यात टुंडा को दबोचा गया था।

रिपब्लिक हिन्द वेबसाइट से साभार

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