सदस्य मोतीलाल देवांगन ने प्रश्नकाल में जानना चाहा कि प्रदेश में कितनी तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया? इन तहसीलों में राहत के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं? किसानों के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में कितनी राशि का प्रावधान रखा गया है?
इसके जवाब में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने बताया कि प्रदेश में 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। सूखाग्रस्त घोषित तहसीलों में अब तक करीब 8 लाख 55 हजार किसानों को 4 अरब 51 करोड़ 21 लाख रुपये की सूखा राहत राशि दी जा चुकी है। मनरेगा के तहत 200 दिनों का रोजगार दिया जा रहा है। एक क्विंटल बीज भी रखने का प्रावधान है। 45 करोड़ रुपये पेयजल के लिए दिए गए हैं।
मोतीलाल देवांगन ने पूछा कि किस स्तर के अधिकारी से सर्वे कराया गया है? इस पर राजस्व मंत्री ने जवाब दिया कि पटवारी, सरपंच, पंच ने सर्वे किया है।
इस पर पूरक प्रश्न के जरिए कांग्रेस के भूपेश बघेल ने जानना चाहा कि मुआवजे से संबंधित दिशा-निर्देश का आधार क्या है? राजस्व मंत्री ने जानकारी दी कि केंद्र के दिशा-निर्देश को राज्य सरकार बदल भी सकती है।
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने तहसील को सूखे की इकाई न मानकर किसानों को माना है, ताकि छत्तीसगढ़ के हर किसानों का हित हो।
इस पर बघेल ने कहा कि क्या आपने खुद दिशा-निर्देश में बदलाव कर लिया है। यह किसी भी राजस्व अधिनियम में नहीं है।
इस पर राजस्व मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को ही इकाई माना है। सभी किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है। यदि किसी किसान को लगता है कि वह मुआवजे के लायक है तो वह आवेदन कर सकता है, उसे भी मुआवजा दिया जाएगा।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की और सदन से बहिर्गमन कर दिया।